राज्य के कृषि विभाग ने गैरकानूनी रूप से यूरिया का स्टॉक रखने और औद्योगिक यूनिट को बेचने वाले 24 डीलरों के लाइसेंस रद्द कर दिए हैं। खरीफ सीजन में यूरिया की कमी की शिकायतें अक्सर सुनने को मिलती हैं। इस बार विभाग ने पहले से ही सतर्कता बरतते हुए अपने स्क्वॉड के जरिए राज्यभर में छापेमारी की, जिसमें अनियमितताएं सामने आने के बाद ये कार्रवाई की गई।
केंद्र सरकार द्वारा नियंत्रित यूरिया, जो किसानों के लिए निर्धारित होता है, उसे कुछ डीलर औद्योगिक यूनिट को केमिकल प्रोसेस के लिए अवैध रूप से बेच रहे थे। इसी कारण यह सख्त कदम उठाया गया।

कृषि विभाग के अनुसार, निलंबित किए गए डीलरों में से दो अहमदाबाद जिले के हैं, जबकि बाकी 22 अन्य जिलों से हैं। नोटिस देने के बाद उनके यहाँ अचानक छापे मारे गए, जिनमें 24 डीलरों की गड़बड़ियाँ पकड़ी गईं। उनके पास से 1090.64 मीट्रिक टन गैरकानूनी यूरिया बरामद किया गया जिसकी अनुमानित कीमत ₹1.78 करोड़ है। विभाग ने यह भी पुष्टि की कि बेचे गए उर्वरक की जांच के लिए 101 किसानों के पास जाकर सत्यापन किया गया।
6 जून को 19 जिलों में 32 खाद्य जांच स्क्वॉड द्वारा 26 डीलरों के यहाँ छापा मारा गया। इनमें उनके फिजिकल स्टॉक और पीओएस मशीन के रिकॉर्ड का मिलान किया गया। 17 डीलरों के यहाँ गड़बड़ियाँ मिलने पर उनके लाइसेंस निलंबित कर दिए गए। बाद में 31 और डीलरों पर छापे मारे गए, जिनमें से 7 और डीलर सस्पेंड किए गए।
विभाग ने यह कार्रवाई खरीफ सीजन में किसानों को पर्याप्त मात्रा में खाद उपलब्ध हो सके, इसके लिए एहतियात के तौर पर की थी।
कृषि विभाग के सूत्रों के अनुसार, अप्रैल महीने में जिन 16 जिलों में यूरिया की औसत बिक्री के मुकाबले 3 से 4 गुना अधिक बिक्री हुई थी, वहां अचानक रेड डाली गई। इनमें पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष अप्रैल में अहमदाबाद में 189.63 टन, अरवल्ली में 1323.45 टन, भावनगर में 1380.87 टन, बोटाद में 416.70 टन, बनासकांठा में 443.20 टन, साबरकांठा में 1120.20 टन और राजकोट में 904 टन अधिक यूरिया की बिक्री हुई थी।
कुल मिलाकर 7829.17 टन अधिक यूरिया की बिक्री दर्ज की गई, जिससे प्रशासन सतर्क हो गया और कार्रवाई की गई।